शून्य के अथाह आकाश को
अस्तित्व के धरातल से जोड़ता
समय का धुन्दला क्षितिज
एक भ्रम
और इस भ्रम के ऊपर खिंची
हर पल बदलती कुछ रेखाएं
जिन्हें मनुष्य ने जीवन का अर्थ समझा और
सब कुछ भुला कर वह निकल पड़ा
क्षितिज का पीछा करते हुए
धुएँ से लिखे एक अर्थ की खोज में |
अस्तित्व के धरातल से जोड़ता
समय का धुन्दला क्षितिज
एक भ्रम
और इस भ्रम के ऊपर खिंची
हर पल बदलती कुछ रेखाएं
जिन्हें मनुष्य ने जीवन का अर्थ समझा और
सब कुछ भुला कर वह निकल पड़ा
क्षितिज का पीछा करते हुए
धुएँ से लिखे एक अर्थ की खोज में |